Recent evidence of water on planet Mars once again proves scientific base of ancient Indian writings and Indian Astrology. In our scriptures planet Mars has always referred as son of mother Earth. Now scientists of this age have confirmed evidence of liquid water on Mars. Science is in process to search life on Mars. The scientists will witness more similarities of the Earth with Mars and there will be a time in the future when scientists of this age will recon our belief that planet Mars is originated from the Earth.

Here I am referring to legend of Birth of planet Mars or Mangal graha (in Sanskrit) given in Skand Purana.

There are several names given to Planet Mars. Prominent names such as Bhumisuta (भुमिसुत ) means Earth’s son. Kuja (कुज, कु= पृथ्वी ज = जन्म) Born from Earth; Bhumiputro (भूमिपुत्र) dhara suta (धरासुत) etc names of the Planet Mars (Mangal graha) have similar meaning. In English planet Mars is often called Red Planet. The earliest references in Indian text have bright Red colour associated with Mars. Prominent name of Mars is Angarak means “like burning coal or (burning solid fuel objects as wood pieces etc). The other name Lohit also means red. There are several references of birth of Mars.

Skand purana Avantika Khand Avantyaka Kshetra Mahatmya narrates the legend related to origin of Planet Mars.

The story is in context of the fight between Lord Shiva and the demon Andhakasur. When Lord Shiva’s Trident ( trishul ) injured Andhakasur. At that time a divine sound Resonated and Omkareshwar Mahadev (Idol of Lord Shiva) appeared. In further shlokas origin of Mangal Angarak is narrated which reads as:

 

स्वेद्बिन्दुरथो तस्य ललाटादपतुद्भुवि

तस्मादङ्गा तत्तो जातो  रक्तमाल्या नुलेपनः । आवन्त्ये विषये जातो लोहिताङ्गो धरासुतः ॥ ॥

अङ्गारकस्तुरक्त्ताक्षो महादेव सुतस्तथा ।नामभिर्ब्राह्म्णै स्स्तुत्वा ग्रहमध्येऽपिरोपितः ।

Meaning in English : A sweat drop (perspiration) from fore head of Lord Shiva fallen on Earth. At this time Red coloured planet Mars originated from the mother Earth. After offering prayers Brahmins placed the planet in the orbit.

The birth of Mars took place in the region of Avanti (Ujjain, Madhya Pradesh). In this place Brahma established Angarkeshwar Mahadev. In further shlokas holy rituals and effects are narrated.

हिन्दी अनुवाद

स्कन्द पुराण के आवं त्याखंड अवन्ति क्षेत्र  माहात्म्य (अवंतिका खंड) में यह  वर्णन मिलता  है जब  शिव ने अंधकासुर को अपने त्रिशूल से  विदीर्ण किया उस समय वहां एक विशेष प्रकार की ध्वनि हुई जिससे की ओंकारेश्वर महादेव  का आविर्भाव हुआ। इसी संदर्भ में  आगे  के श्लोकों में मङ्गल ग्रह की उत्त्पत्ति का भी वर्णन है। जो की इस प्रकार है।

“उस  समय  भगवान शिव के मस्तक  से जो स्वेद (पसीने) की बूँद पृथ्वी पर गिरी उससे अंगार के सामान लाल शरीर वाले मंगल धरती से उत्पन्न हुए।

अङ्गारक , रक्ताक्ष तथा  महादेव पुत्र  नामों से स्तुति करके ब्राह्मणों ने मंगल को ग्रहों के मध्य अपिरोपित (स्थापित) किया।  मंगल के उत्त्पत्ति तीर्थ अवन्ति क्षेत्र (उज्जैन) पर ब्रह्मा ने अंगारकेश्वर नाम के गण गन्धर्व सेवित उत्तम  शिव लिंग की स्थापना की। जो नर  मंगलवार को उस  तीर्थ में स्नान करके पूरी शुचिता (पवित्रता)  साथ अंगारकेश्वर के दर्शन करता है वह सर्व पापों से छूट जाता है।”

 

Reference:

महाविनायकः ख्यातस्त अस्माल्लोकेऽभवन्मुने

दर्शनात्तस्य देवस्य न विघ्नैः पीड्यतेनरः ।

मासेमासे चतुर्थ्यांयोऽ गणेशंपूजयेद्द्विजनतस्य विघ्नं जायेदि (तइ) हलोके परत्र च ।

स्वेद्बिन्दुरथो तस्य ललाटादपतुद्भुवि

तस्मादङ्गा तत्तो जातो  रक्तमाल्या नुलेपनः

आवन्त्ये विषये जातो लोहिताङ्गो धरासुतः ॥ ॥

अङ्गारकस्तुरक्त्ताक्षो महादेव सुतस्तथा ।

नामभिर्ब्राह्म्णै स्स्तुत्वा ग्रहमध्येऽपिरोपितः ।

तत्रतीर्थमथोत्पन्नमङ्गारेश्वरमुत्तमम् ।

ब्रह्मणा स्थापितं लिङ्गं गणगन्धर्व सेवितम् ।

शुचिस्तत्र च यस्स्नाति नरस्त्वाङ्गार वासरे

दृष्ट्वाऽङ्गारेश्वरं सोऽथ मुच्यते सर्वपातकैः ॥ ॥

॥स्कन्द पुराण, आवंत्याखंड, अवन्ति क्षेत्र माहात्म्य॥